ग्राम खिडिया में श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस में वालव्यास श्री सद् भव तिवारी ने बड़े ही रोचक प्रसंग को सुनाया उन्होंने बताया कि भगवान के कितने अवतार हैं ये सभी का प्रस्न होता है,व्याशजी ने बताया कि जब जब भक्त पर संकट पड़ता है तब तब भगवान अवतार लेते हैं अतः अवतार को गिनना असम्भव है,बेसे देखा जाय तो भगवान के 24 अवतार का वर्णन आता है,और घंटे भी 24 ही होते हैं तातपर्य ये है कि हर घंटे भगबान अपने भक्त की रक्षा के लिए विद्धमान होते हैं । ईश्वर सत्य स्वरूप है,कल्याण का साधन एवं शास्त्रों का सार भक्ति है,भक्ति स्वतंत्र है और सभी गुणों की खान है नारद जी के प्रसंग में बताया कि उनके पिता नहीं थे और बचपन में ही उनकी माता ने संतों की सेवा के लिए छोड़ दिया जिनका नारद जी के जीवन पर इतना प्रभाव पड़ा कि बो ईश्वर की भक्ति में खो गये और आकाशवाणी हुई कि अगले जन्म में तुम्हारा जन्म ब्रह्मा जी के पुत्र के रूप में होगा।शुखदेव जी के जन्म के वारे में बताया कि वर्षा का जल निर्मल होता है और जब गंदी नाली में गिरता है तब जल भी गंदा हो जाता है ठीक उसी प्रकार जव जीव मां के गर्भ में होता है तो निर्मल होता है बाहर आता है तब उसे माया अपने बंधन में जकड़ लेती है,सुखदेव जी ने अपनी माँ के पेट से तब ही जन्म लिया जब ईश्वर ने उनको ये आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी भक्ति के ऊपर माया का प्रभाव कभी नही पड़ेगा इसके पश्चात उन्होंने अपने पिता वेदव्यास जी से भागवत कथा का उपदेश प्राप्त किया औऱ इसके पश्चात उनके ही माध्यम से जन जन तक भागवत कथा का प्रचार हुआ सुखदेवजी की कथा सुनकर ही राजा परीक्षित जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई ।विदुर जी के प्रसंग को बताया कि बो इतने बड़े भक्त थे कि भगवान खुद उनके घर पर आय और उल्टे पटे पर बैठकर केले के छिलकों का भोग लगाया।द्रौपती जी के बारे में व्याशजी ने बताया कि बो दया की प्रतिमूर्ति थी जिस अश्वस्थामा ने उनके पाँच पुत्रों की हत्या की उसी को माफ कर दिया आगे बताया जिसमे दया नही बो इंसान हो ही नही सकता ।ग्राम एवं उसके आस पास से बड़ी मात्रा में आय श्रद्धालुओं ने कथा का पूरी श्रद्धा के साथ रसपान किया।
